मोर (मयूर)

मेरे पास दो कागज थे, मैंने उनकी गुड़िया बनाई
गुड़िया टूटी और रूठी,मैंने उसे फिर से जुड़वाई

और हम दोनों गई सागर ओर
हमने देखे वहां दो सुन्दर मोर

अपने पंख फैलता झट से
उड़कर बाग में जाता फट से

हम भी भागे उसके पीछे
देखा तो वह कीड़े खा रहा नीचे

मोर को पसंद है कीड़े खाना
कोयल को मन-पसंद गाना|

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2 टिप्पणियाँ:

Rambabu ने कहा…

बहुत खूब !! बस यूँ ही लिखते रहिये !! धन्यबाद !!

Sitaram Prajapati ने कहा…

बहुत अच्छा सिमरन

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