गुड़िया टूटी और रूठी,मैंने उसे फिर से जुड़वाई
और हम दोनों गई सागर ओर
हमने देखे वहां दो सुन्दर मोर
अपने पंख फैलता झट से
उड़कर बाग में जाता फट से
हम भी भागे उसके पीछे
देखा तो वह कीड़े खा रहा नीचे
मोर को पसंद है कीड़े खाना
कोयल को मन-पसंद गाना|
नन्हीं कवियत्री सिमरन राठौड़ के कविता ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है|
2 टिप्पणियाँ:
बहुत खूब !! बस यूँ ही लिखते रहिये !! धन्यबाद !!
बहुत अच्छा सिमरन
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